बिहार के टॉप प्रमुख पर्यटन स्थल जहा आपको एक बार ज़रूर जाना चाहिए
- गया – गया में बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध को बोधज्ञान प्राप्त हुआ था, इसी कारण से ये शहर बिहार के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। गया, तीन तरफ से छोटी – छोटी पहाडि़यों मंगला – गौरी, श्रींगा – स्थान, राम – शीला और ब्रहमायोनि से घिरा हुआ है जिसके पश्चिमी ओर फाल्गु नदी बहती है।यहां का महाबोधि मंदिर इस शहर की शान है। पूरी दुनिया से बौद्ध भिक्षु, यहां आते है और भगवान बुद्ध की मूर्ति के दर्शन करते है और उनके चरणों के नीचे बैठकर ध्यान लगाते है . गया में आप इसके अलावा विष्णुपद मंदिर भी प्रमुख है दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। यहाँ का पितृपक्ष मेला तो देश और दुनिया में काफी मशहूर है . यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।


2. मुंगेर – मुंगेर को भी बिहार के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है . बिहार स्कूल ऑफ़ योगा इस शहर की पहचान है . योग प्रेमियों के लिए, मुंगेर एक अज्ञात नाम नहीं है, इस प्रकार हम इस जगह पर एक बड़े विदेशी भीड़ की अपेक्षा कर सकते हैं . मुंगेर एक बार मीर कासिम की राजधानी थी . इस जगह में कई ऐतिहासिक अवशेष हैं जो कि यहां आकर्षण को जोड़ते हैं। मुंगेर में ऐतिहासिक क़िला है। यहाँ पर सीताकुंड नामक प्रमुख कुंड है। मुंगेर से 6 कि.मी. पूर्व में स्थित सीता कुंड मुंगेर आनेवाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस कुंड का नाम पुरुषोत्तम राम की धर्मपत्नी सीता के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि जब राम सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाकर लाए थे तो उनको अपनी को पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। धर्मशास्त्रों के अनुसार अग्नि परीक्षा के बाद सीता माता ने जिस कुंड में स्नान किया था यह वही कुंड है।

3. नालंदा – विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय भारत ही नहीं दुनिया में एक एक गौरव था इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई॰ में गुप्त शासक कुमारगुप्त ने की थी .नालंदा दुनिया भर में प्राचीन काल में सबसे बड़ा अध्ययन का केंद्र था दुनिया भर के छात्र यहाँ पढाई करने आते थे .चीनी यात्री हेनसांग ने नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन, धर्म और साहित्य का अध्ययन किया था। उसने दस वर्षों तक यहाँ अध्ययन किया। उसके अनुसार इस विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना सरल नहीं था। यहाँ केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र ही प्रवेश पा सकते थे। प्रवेश के लिए पहले छात्र को परीक्षा देनी होती थी। इसमें उत्तीर्ण होने पर ही प्रवेश संभव था। विश्वविद्यालय के छ: द्वार थे। प्रत्येक द्वार पर एक द्वार पण्डित होता था। प्रवेश से पहले वो छात्रों की वहीं परीक्षा लेता था। इस परीक्षा में 20 से 30 प्रतिशत छात्र ही उत्तीर्ण हो पाते थे। विश्वविद्यालय में प्रवेश के बाद भी छात्रों को कठोर परिश्रम करना पड़ता था तथा अनेक परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना अनिवार्य था। यहाँ से स्नातक करने वाले छात्र का हर जगह सम्मान होता था। लेकिन 12वीं शती में बख़्तियार ख़िलजी ने आक्रमण करके इस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया .
4. पटना – गंगा नदी के किनारे बसा पटना बिहार का सबसे बड़ा शहर है। प्राचीन भारत में इसे पटलिपुत्र के रूप में जाना जाता है, यह शहर दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक माना जाता है। पटना सिख भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ है क्योंकि इनके अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के जन्मस्थान माना जाता है। नंद, मौर्य, शुंग, गुप्ता और पाल की अवधि में इस शहर को पूरे भारत में प्रसिद्धि मिली। पटना में पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बिहार संग्रहालय , गोलघर ,बुद्ध स्मृति पार्क , हनुमान मंदिर , बड़ी पटन देवी , छोटी पटन देवी मंदिर , अगम कुआँ , कुम्हरार , क़िला हाउस , शहीद स्मारक आदि प्रमुख है .

5. वैशाली – वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि “रिपब्लिक” कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। वैशाली में अशोक स्तम्भ , बौद्ध स्तूप, विश्व शांति स्तूप जो की जापान के निप्पोणजी समुदाय द्वारा बनवाया गया यही सब चीज़ पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है .

6. राजगीर – राजगीर सात पहाड़ियों से मिलकर बना है जिनके नाम इस प्रकार हैं- छठगिरि, रत्नागिरी, शैलगिरि, सोनगिरि, उदयगिरि, वैभरगिरि एवं विपुलगिरि। हर पहाड़ी पर कोई न कोई जैन, बौद्ध या हिन्दू मंदिर है। इस प्रकार राजगीर इन तीनों धर्मों का तीर्थ बन जाता है। यहाँ की साफ़ सफाई और स्वच्छता बिहार के बाकी शहरों के तुलना में काफी अच्छी है . राजगीर के प्रसिद्द पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र सोन भंडार ,मगध राजा जरासंध का अखाड़ा , गर्म जल के कुण्ड ( राजगीर के चट्टानों में कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो इन कुंडों के गर्म होने के राज हैं ) ब्रह्म कुण्ड और मखदूम कुण्ड दो प्रसिद्द कुण्ड हैं . विश्व शांति स्तूप यहाँ गौतम बुद्ध ने सैकड़ों वर्षों पूर्व अपने अनुयायियों को सिख दी .

7.सीतामढ़ी – माँ सीता के जन्मस्थली से विख्यात सीतामढ़ी को सीता के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है, सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोते, तो उस समय धरती से सीता जी का जन्म हुआ था। सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम सीतामढ़ी पड़ा। सीतामढ़ी के प्रमुख पर्यटन स्थल जानकी स्थान मंदिर , उर्बीजा कुंड , हलेश्वर स्थान , पंथ पाकड़ , बगही मठ आदि प्रमुख है .

8.जल मंदिर , पावापुरी – जल मंदिर पावापुरी एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है . यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इस खूबसूरत मंदिर का मुख्य पूजा स्थल भगवान महावीर की एक प्राचीन चरण पादुका है। यह उस स्थान को इंगित करता है जहां भगवान महावीर के पार्थिव अवशेषों को दफ़नाया गया था।

9. नवलखा पैलेस – नवलाखा पैलेस बिहार में मधुबनी के पास राजनगर में स्थित है। महाराजा रामेश्वर सिंह ने इस महल का निर्माण किया था और 1 9 34 में भूकंप के दौरानइस महल को व्यापक विनाश का सामना करना पड़ा था। विनाश के बाद कोई पुनर्निर्माण नहीं किया गया था, इस तरह यह महल अब अवशेष के रूप में ही है . राज्य सरकार का कोई ध्यान इस और नहीं है फिर भी यह एक शाही महल है और बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो चुका है, फिर भी इसकी वास्तुकला की प्रतिभा पर आश्चर्य हो सकता है। महल के परिसर में उद्यान, तालाब और मंदिर हैं। एक बार इसकी वास्तुकला तो अवश्य देखने लायक है .

10. शेर शाह सुरी मक़बरा , सासाराम – इसे स्वयं शेरशाह सूरी ने अपने जीवन काल में 1545 ईस्वी में बनवाया था यह कब्र भारत में भारत-इस्लामी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वास्तुकला शानदार और एक कृत्रिम झील के बीच में ये मक़बरा बना है, वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना होने के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 1998 में इस मकबरे को विश्व धरोहरों की सूची में स्थान दिया। यह मकबरा 1130 फीट लंबे और 865 फीट चौड़े तालाब के मध्य में स्थित है। तालाब के मध्य में सैंड स्टोन के चबूतरे पर अष्टकोणीय मकबरा सैंडस्टोन तथा ईंट से बना है। इसका गोलाकार स्तूप 250 फीट चौड़ा तथा 150 फीट ऊंचा है। इसकी गुंबद की ऊंचाई ताजमहल से भी दस फीट अधिक है।

11. विक्रमशिला विश्वविद्यालय का खंडहर – भागलपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर पूरब में कहलगांव के पास अंतीचक गांव स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का खंडहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है.इस विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने आठवीं सदी के अंतिम वर्षों या नौवीं सदी की शुरुआत में की थी.करीब चार सदियों तक वजूद में रहने के बाद तेरहवीं सदी की शुरुआत में यह नष्ट हो गया था.

12. केसरिया स्तूप, केसरिया (पूर्वी चंपारण) -केसरिया स्तूप भारत में सबसे बड़ा और सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप माना जाता है, केसरिया स्तूप बिहार पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। माना जाता है कि राजा चक्रवर्ती के शासन के तहत 200 और 750 ईस्वी के बीच स्तूप का निर्माण किया गया था। 104 फीट की ऊँचाई के साथ, यह एक भव्य और शानदार संरचना है जिसे आप सभी को एक बार ज़रूर देखना चाहिए .

13. वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान – वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान चंपारण में शिवालिक पर्वत श्रेणी के बाहरी सीमा में स्थित है।यह अभयारण्य पूरी तरह से हरियाली से आच्छादित है।900 गज में फैला वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थल है . यह पार्क उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क और पश्चिम में हिमालय पर्वत की गंडक नदी से घिरा हुआ है।यहां पर आप बाघ, , भेडिए, हिरण, सीरो, चीते, अजगर, पीफोल, चीतल, सांभर, नील गाय, हाइना, भारतीय सीवेट, जंगली बिल्लियां, हॉग डीयर, जंगली कुत्ते, एक सींग वाले राइनोसिरोस तथा भारतीय भैंसे कभी कभार चितवन से चलकर वाल्मीकि नगर में आ जाते हैं। इस उद्यान में आप चीतल, काला हिरण, फिशिंग कैट्स, तेंदुए आदि भी देख सकते हैं।